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Sleeping Rules: शास्त्रों में बताए गए हैं ‘शयन नियम’, सोते समय जरूर रखें इनका ध्यान

HIGHLIGHTS

  1. वास्तु शास्त्र में सोने से लेकर उठने तक ऐसे कई नियम बताए गए हैं।
  2. बांस या पलाश की लकड़ी से बने पलंग पर कभी नहीं सोना चाहिए।
  3. शाम के समय कभी नहीं सोना चाहिए।

धर्म डेस्क, इंदौर। Sleeping Rules: वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र में हमारी दिनचर्या को लेकर कई बातें बताई गई हैं। हमारी ऐसी कई आदतें होती हैं, जो हमारे भविष्य पर अशुभ असर डालती हैं। वास्तु शास्त्र में सोने से लेकर उठने तक ऐसे कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन हमें जरूर करना चाहिए। इन नियमों को ध्यान में रखते हुए आप अपनी सोने की आदतों को सुधार सकते हैं।

शयन नियम

    • पूरी तरह से अंधेरा करके भी नहीं सोना चाहिए।हमेशा पूर्व या दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए। उत्तर या पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से आयु घटती है और शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं।
      • शास्त्रों के अनुसार, पूर्व की तरफ सिर करके सोने से ज्ञान में वृद्धि होती है। दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से धन और आयु में वृद्धि होती है। पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से व्यक्ति हमेशा चिंतित रहता है। उत्तर की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है।

       

      • अधोमुख होकर, नग्न होकर, दूसरे की शय्या पर, टूटी हुई खाट पर नहीं सोना चाहिए।

       

      • जो छोटी हो, टूटी हुई हो, ऊँची-नीची हो, मैली हो अथवा जिसमें जीव हो या जिस पर कुछ बिछा हुआ न हो, उस शय्या पर भी नहीं सोना चाहिए।

       

      • बांस या पलाश की लकड़ी के बने पलंग पर कभी नहीं सोना चाहिए।

       

      • कभी भी सिर को नीचा करके नहीं सोना चाहिए।

       

      • जूठे मुंह नहीं सोना चाहिए। साथ ही नग्न होकर भी नहीं सोना चाहिए।

       

      • किसी देव मंदिर और श्मशान में भी या फिर किसी सूने घर में नहीं सोना चाहिए।

       

    • भीगे पैर लेकर नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी हमेशा नाराज रहती हैं।

     

    • सोते समय मुख से पान, ललाट से तिलक और सिर से पुष्प का त्याग कर देना चाहिए।

     

    • शाम के समय कभी नहीं सोना चाहिए। रात के प्रथम और चतुर्थ पहर को छोड़कर दूसरे और तीसरे पहर में सोना उत्तम होता है ।

     

    • दिन में और दोनों सन्ध्याओं के समय जो सोता है, वह रोगी और दरिद्र होता है ।

     

    • जिसके सोते-सोते सूर्योदय अथवा सूर्यास्त हो जाए, वह पाप का भागी होता है और बिना प्रायश्चित के पाप से मुक्त नहीं होता।

     

    डिसक्लेमर

    ‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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