साल की आखिरी अमावस्या के ये उपाय बदल देंगे किस्मत, शनि–पितृ दोष से राहत पक्की

सनातन धर्म में पौष अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है। ये दिन स्नान-दान और पितृ तर्पण संबंधी कार्यों के लिए अत्यंत ही शुभ होता है। ये साल की अंतिम अमावस्या भी होती है। इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देने की विशेष परंपरा है। अगर नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। चलिए आपको बताते हैं पौष अमावस्या का महत्व और उपाय।

पौष अमावस्या का महत्व 

पौष मास को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर अपना आशीर्वाद देते हैं। जिन लोगों की कुंडली में संतान हीन योग हो उनके लिए पौष अमावस्या का व्रत और इस दिन पितरों का तर्पण करना बेहद फलदायी होता है।

पौष अमावस्या पर शनि दोष और पितृ दोष से छुटकारा पाने के उपाय

शनि दोष या पितृ दोष से पीड़ित लोगों को पौष अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध जरूर करना चाहिए। उनके नाम से तिल, वस्त्र, अन्न या पिंड का दान अवश्य करें। ऐसा करने से पितृ दोष से तो छुटकारा मिलेगा ही साथ ही शनि दोष से भी छुटकारा मिल जाएगा। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी शुभ मानी जाती है।

ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करने के उपाय

ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए इस दिन कपड़े और भोजन का दान जरूर करें। इसके अलावा इस दिन खिचड़ी का भंडारा करना भी शुभ माना जाता है। दान, पुण्य, पूजा और पौष अमावस्या के दिन व्रत करने से काल सर्प दोष तक से राहत मिल जाती है।

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