लखनऊ ज़िला कोर्ट ने आज तक की एंकर अंजना ओम कश्यप के खिलाफ केस दर्ज करने का दिया निर्देश

खनऊ ज़िला कोर्ट ने आज तक की एंकर अंजना ओम कश्यप के खिलाफ उनके शो ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ के एक एपिसोड पर शिकायत दर्ज करने का आदेश दिया है। यह एपिसोड 14 अगस्त, 2025 को ‘भारत विभाजन का मकसद पूरा क्यों नहीं हुआ?’

शीर्षक से प्रसारित हुआ था। आदेश पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की ओर से दाखिल शिकायत याचिका पर पारित किया गया।ठाकुर ने याचिका में आरोप लगाया कि यह कार्यक्रम पूरी तरह अनुचित, भड़काऊ और ‘बेहद घटिया’ तरीके से तैयार किया गया था, जिसका मकसद दो प्रमुख समुदायों के बीच विभाजन पैदा करना था।

याचिका में कहा गया:’यह कार्यक्रम ज़हरीला, विनाशकारी और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है। इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर ऐसे प्रस्तुत किया गया कि जनता को भड़काया जा सके। कार्यक्रम का नापाक उद्देश्य साफ़ दिखता है।शिकायत के अनुसार, यह एपिसोड आज तक के आधिकारिक *X और YouTube हैंडल* पर इस कैप्शन के साथ डाला गया था—’4 करोड़ मुसलमानों में से सिर्फ़ 96 लाख पाकिस्तान गए! भारत विभाजन का मकसद पूरा क्यों नहीं हुआ?ठाकुर का आरोप है कि कार्यक्रम का मकसद लोगों को उकसाना और एक धार्मिक समुदाय के प्रति शत्रुतापूर्ण माहौल बनाना था।

याचिका में कहा गया,

‘यह सवाल करना कि जब विभाजन धर्म के आधार पर हुआ तो मुसलमान पाकिस्तान क्यों नहीं गए, असल में भारत में रहने वाले मुसलमानों के अस्तित्व पर सवाल उठाने जैसा है। इससे असहिष्णु तत्वों को और उकसावा मिल सकता है, मानो वे किसी ऐतिहासिक सुधार की तैयारी कर रहे हों।शिकायत में यह भी तर्क दिया गया कि कार्यक्रम तथ्यों के लिहाज से भी ग़लत था, क्योंकि पाकिस्तान की मांग करने वालों ने इसे मुसलमानों का राष्ट्र बताया था, जबकि भारत के नेताओं ने साफ़ कर दिया था कि भारत सभी धर्मों का राष्ट्र होगा, न कि किसी एक धर्म का।ठाकुर ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम भड़काऊ, खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना था, जिसने संवेदनशील ऐतिहासिक घटना को ग़लत संदर्भों में उठाया।

शिकायत में प्रसारण पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत अपराध बनने का दावा किया गया है:

धारा 196 – धर्म, जाति, जन्मस्थान, भाषा आदि के आधार पर शत्रुता फैलाना।
धारा 197 – राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे।
धारा 353(2) – सार्वजनिक शरारत भड़काने वाले बयान।

ठाकुर ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले गोमतीनगर थाने के SHO से एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया था, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकी। इसके बाद उन्होंने सीधे अदालत का रुख किया, जो उनके अनुसार, पुलिस पर चैनल और एंकर के प्रभाव को दर्शाता है।

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