पितृ पक्ष के पहले दिन शिववास योग समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

नई दिल्ली :  सनातन धर्म में आश्विन माह का खास महत्व है। इस माह के कृष्ण पक्ष में पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। वहीं, शुक्ल पक्ष में जगत की देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा एवं भक्ति की जाती है। साथ ही आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मां दुर्गा के निमित्त व्रत रखा जाता है।

ज्योतिषियों की मानें तो पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) के पहले दिन यानी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर दुर्लभ शिववास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी। साथ ही व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसेगी। आइए, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-

पितृ पक्ष शुभ मुहूर्त (Pitru Paksha 2025)

वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 08 सितंबर को रात 09 बजकर 11 मिनट तक है। इसके बाद द्वितीया तिथि शुरू होगी।

शिववास योग

पितृ पक्ष के पहले दिन रात 09 बजकर 11 मिनट तक शिववास योग का संयोग है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। शिववास योग के दौरान पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। साथ ही व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसेगी।

करण

अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर बालव, कौलव और तैतिल करण के योग हैं। बालव और कौलव योग में पितरों का तर्पण किया जाएगा। साथ ही पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का संयोग है। इन शुभ योग में पितरों का तर्पण करने से साधक के सुख, सौभाग्य और वंश में वृद्धि होगी।

पंचांग

  1. सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर
  2. सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 34 मिनट पर
  3. चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 58 मिनट पर
  4. चंद्रास्त- सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर
  5. ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 17 मिनट तक
  6. विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक
  7. गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 57 मिनट तक
  8. निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक

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