कब है फाल्गुन पूर्णिमा? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली :  पूर्णिमा तिथि का सनातन धर्म में खास महत्व है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु पूजा की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए श्रीसत्यनारायण पूजा का आयोजन किया जाता है। धार्मिक मत है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से दरिद्रता दूर हो जाती है। साथ ही आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, फाल्गुन पूर्णिमा के बारे में सबकुछ जानते हैं-

फाल्गुन पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा  है। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। इस प्रकार 13 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। वहीं, 14 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा मनाई जाएगी। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है।

चंद्र ग्रहण 2025 

ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया पड़ने वाला है। हालांकि, चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसके लिए सूतक भी लागू नहीं होगा। इसके बावजूद चंद्र ग्रहण के दौरान शुभ काम न करें। इसके साथ ही चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान अवश्य करें। वहीं, ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। वहीं, पूजा के बाद दान अवश्य करें।

पूजा विधि

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले लक्ष्मी नारायण जी को प्रणाम करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो गंगा नदी में स्नान-ध्यान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार कर भक्ति भाव से श्री सत्यनारायण जी की पूजा करें। इस समय सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें। पूजा के समय भगवान विष्णु को पीले रंग के फल और फूल अर्पित करें। पूजा का समापन भगवान विष्णु की आरती से करें।

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