स्वस्तिक बनाते समय ध्यान रखें ये बातें, तभी मिलेगा पूरा लाभ

किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य से पहले स्वस्तिक का चिह्न जरूरी रूप से बनाया जाता है। ऐसा करने से उस कार्य में किसी तरह की बाधा नहीं आती और उसकी शुभता और भी बढ़ जाती है। स्वस्तिक (Swastik Mistake) बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, तभी आपको इसका पूर्ण लाभ मिल सकता है। ऐसे में चलिए जानते हैं स्वस्तिक से जुड़े कुछ जरूरी नियम।
वास्तु के अनुसार, पूजा स्थल व मुख्य द्वार पर स्वस्तिक का चिह्न बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है। इन सभी बातों का ध्यान रखने से जीवन में सौभाग्य आकर्षित होता है और वास्तु दोष से भी राहत मिलती है।
इन गलतियों से बचेंहमेशा स्नान के बाद हमेशा साफ हाथों से ही स्वस्तिक बनाना चाहिए। साथ ही इसे कभी भी उल्टा (Swastik errors) न बनाएं और न ही स्वस्तिक को बनाते समय रेखाओं को बीच से क्रॉस करें। साथ ही टेढ़ा-मेढ़ा बना हुआ स्वास्तिक भी शुभ नहीं माना जाता। इसे बनाते समय हमेशा चंदन, कुमकुम या सिंदूर का ही उपयोग करें। स्वस्तिक बनाते समय हमेशा मन में सकारात्मक भाव रखें।







