शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के इन 9 मंदिरों का करें दर्शन, दूर होंगे सभी कष्ट

नई दिल्ली : शारदीय नवरात्र का पावन पर्व 22 सितंबर, दिन सोमवार यानी आज से शुरू हो रहा है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। अगर आप इस शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के आशीर्वाद से अपने सभी कष्टों को दूर करना चाहते हैं, तो आप इन पावन और प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं –
नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी हैं। माता का मंदिर वाराणसी में कर्णघंटा क्षेत्र में है, जो गंगा नदी के बालाजी घाट के पास है। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन करने से मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती है।
नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है, जिनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है। माता रानी के ऐसे कई धाम हैं, जहां दर्शन के लिए जाते हैं। तमिलनाडु के कांचीपुरम देवी की चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा होती है। इसके अलावा प्रयागराज और वाराणसी में भी देवी चंद्रघंटा के मंदिर हैं, जहां नवरात्र के समय भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के घाटमपुर में देवी का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में देवी की पिंडी स्वरूप में दो मुख हैं, जिनसे हमेशा पानी निकलता रहता है। साधक इस पवित्र जल की प्रसाद की तरह ग्रहण करते हैं।
स्कंदमाता का स्वरूप बहुत ही निर्मल है। वाराणसी के जगतपुरा क्षेत्र में बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में स्कंदमाता का एक मंदिर है, जहां माता के गोद में भगवान कार्तिकेय बालक स्वरूप में बैठे हैं। वहीं, मध्य प्रदेश के विदिशा और तमिलनाडु के सेलम के पास भी माता के इस स्वरूप की पूजा होती है और उनके प्रसिद्ध मंदिर भी हैं।
मां कात्यायनी का एक प्रसिद्ध मंदिर वृंदावन में है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ने महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। ऐसा कहते हैं कि देवी के इस स्वरूप की पूजा राधा रानी ने भगवान श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए की थी।
नवदुर्गा का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि हैं। मां का स्वरूप बेहद रौद्र है लेकिन उनका हृदय बहुत ही सरल है। वाराणसी में दशाश्वमेध मार्ग पर और बिहार के सोनपुर में नयागांव डुमरी में देवी के प्रसिद्ध मंदिर हैं। जहां नवरात्र के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। कहते हैं कि देवी की इस स्वरूप की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है।
मां दुर्गा का आठवां स्वरूप मां महागौरी का हैं, जो बेहद शांत हैं। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के पास अन्नपूर्णा देवी मंदिर में स्थापित विग्रह को महागौरी का रूप माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या के बाद जब देवी पार्वती का रंग काला पड़ गया था, तब भोलेनाथ ने गंगाजल की पवित्र धारा से देवी को फिर से गौर वर्ण प्रदान किया था।







