दिपावली त्यौहार का मौसम आते ही पटाखों का अवैध कारोबार फिर सिर उठाने लगा

दशहरा से लेकर दीपावली तक पटाखों की मांग अधिक होने की वजह से इस कारोबार से जुड़े लोग पटाखे बेचने के लिए साजो-सामान एकत्र करने मे लगे हैं। पटाखों के अवैध कारोबार पर नियंत्रण प्रशासन के लिए हमेशा चुनौती रही है। दीपावली नजदीक आते ही प्रशासन और पुलिस सक्रिय होती है, बावजूद इसके इस कारोबार पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है। बीते वर्षों में कई दुकानो मे वृद्धि भी हो चुकी हैं। फिर भी प्रशासन की ओर से पटाखे के अवैध कारोबार को रोकने की कोई कार्ययोजना सामने नहीं आई है।सुकमा मलकानगिरी रोड के किनारे शराब दुकान के आसपास  रोड से लगे बिजली खम्बे के तारों क़े निचे कई संचालित दुकान है एवं दर्जन भर स्थानों पर भारी मात्रा में पटाखों का गोदाम है जहां क्षमता से अधिक पटाखे रखे जाते हैं।  नगरपालिका के मध्य स्थल पर स्थित गोदाम व घरों में भारी पैमाने पर पटाखे जाम कर रखे गए भी स्थानों पर किसी गंभीर अनहोनी से निपटने के लिए कोई उपाय नहीं है। चूंकि पटाखा का व्यवसाय सीजनली होता है। साल में एक बार होने की वजह है इसमें संलिप्त व्यवसायी अधिक से अधिक लाभ कमाने की फिराक में रहते हैं। सूत्रों की माने तो शहर से भारी पैमाने पर पटाखे ओडिशा में खपाई जाती है। सुकमा के सरहदी इलाकों से बड़े पैमाने पर अवैध पटाखों का कारोबार किया जा रहा है  सीमा से कई राज्य तक फैला हुआ है

जिले में पटाखा बिक्री का कोई लाइसेंस भले ही न हो लेकिन नगरपालिका से लेकर ग्राम पंचायत तक अवैध रूप से पटाखा दुकान लगा कर बेचने का धंधा तेजी से फलफूल रहा है।

कई वर्ष पटाखे कौन मुहैया करा रहा है? सवाल का उत्तर कभी नहीं मिलता है।

यह स्थिति समाज के लिए भले घातक हो लेकिन जिम्मेदारों को इसकी चिंता नहीं है।

दीपावली से पहले प्रशासन अभियान चलाकर 

पटाखे के अवैध कारोबार को रोकने की 

औपचारिक कोशिश जरूर करता है, लेकिन इच्छाशक्ति के अभाव में कभी भी इस धंधे पर प्रभावी अंकुश नहीं लग सका। पटाखे फोड़ने के लिए तो समय निर्धारित किया जाता है लेकिन बेचने के लिए कोई समय नहीं 24 घंटे उपलब्ध रहता है जब चाहिए मिल जायगा। पटाखे के अवैध कारोबार पर नियंत्रण के लिए कोई अभियान नहीं

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button