गिलोय के फायदे और नुकसान क्या है?

आजकल लोग अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक उपायों की ओर तेजी से लौट रहे हैं. इसी कड़ी में गिलोय का नाम सबसे ऊपर आता है. इसे आयुर्वेद में अमृता या गुडुची भी कहा जाता है. गिलोय का पानी, जिसे गिलोय का काढ़ा या जूस भी कहा जाता है, शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है. लेकिन, क्या रोज गिलोय का पानी पीना वाकई फायदेमंद है? या इससे कुछ नुकसान भी हो सकते हैं? आइए आसान भाषा में समझते हैं इसके फायदे, नुकसान और सही सेवन विधि.

गिलोय का पानी पीने के फायदे

1. इम्यूनिटी बढ़ाता है

गिलोय को प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर माना जाता है. रोज इसका सेवन करने से शरीर मौसमी बीमारियों, वायरल संक्रमण और सर्दी-खांसी से लड़ने में सक्षम होता है.

2. बुखार में राहत

देता है डेंगू, मलेरिया और वायरल फीवर में गिलोय का काढ़ा प्लेटलेट्स की संख्या बनाए रखने और बुखार की तीव्रता कम करने में मदद करता है.

3. पाचन को मजबूत करता है

कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं में गिलोय का पानी बेहद फायदेमंद होता है. यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और पेट को हल्का बनाए रखता है.

4. ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है

गिलोय को मधुनाशिनी भी कहा जाता है क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करने में मदद करता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए यह उपयोगी हो सकता है.

5. तनाव और थकान दूर करता है

गिलोय मानसिक शांति देने वाला माना जाता है. यह स्ट्रेस कम करता है और नींद की क्वालिटी को बेहतर बनाता है.

गिलोय का पानी पीने के नुकसान 

  1. बहुत ज्यादा सेवन से लिवर पर असर बहुत ज्यादा मात्रा में गिलोय लेने से लिवर पर दबाव पड़ सकता है. कुछ मामलों में हेपेटोटॉक्सिसिटी यानी लिवर डैमेज की शिकायतें भी सामने आई हैं.
  2. ब्लड शुगर बहुत कम हो सकता है डायबिटीज के मरीज अगर बिना डॉक्टर की सलाह के गिलोय का ज्यादा सेवन करें तो ब्लड शुगर खतरनाक लेवल तक गिर सकता है.
  3. ऑटोइम्यून बीमारियों में नुकसानदायक जिन लोगों को रूमेटाइड आर्थराइटिस, लुपस या अन्य ऑटोइम्यून बीमारियां हैं, उन्हें गिलोय का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए.

गिलोय का सेवन करने का सही तरीका 

  1. गिलोय का पानी कैसे बनाएं: गिलोय की ताजी डंडी को काटकर पानी में उबालें। 10–15 मिनट बाद छानकर गुनगुना पानी पी लें.
  2. कब पीना चाहिए: सुबह खाली पेट गिलोय का पानी पीना सबसे ज्यादा असरदार माना जाता है.
  3. कितनी मात्रा में लें: रोजाना 30–50 ml से अधिक न लें। ज्यादा मात्रा नुकसानदायक हो सकती है.
  4. किसे नहीं लेना चाहिए: गर्भवती महिलाएं, लो बीपी वाले लोग और ऑटोइम्यून रोग से पीड़ित व्यक्ति इसे डॉक्टर की सलाह से ही लें.

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