छत्तीसगढ़ में ईडी की बड़ी कार्रवाई, रायपुर, दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में रेड, कारोबारियों के ठिकानों पर दबिश

रायपुर. छत्तीसगढ़ में एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. रायपुर, दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में एक साथ कई ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की. जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में जिला खनिज निधि (DMF) के कथित दुरुपयोग मामले में ED ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है. बुधवार सुबह जांच एजेंसी ने प्रदेशभर में एग्रीकल्चर से रिलेटेड कारोबारियों के ठिकानों पर दबिश दी.
शंकर नगर स्थित विनय गर्ग नामक कारोबारी के घर पर ईडी ने दबिश दी है. रेड की कार्रवाई में 8 से 10 की संख्या में ईडी के अधिकारी समेत सशस्त्र बल मौजूद हैं. अमलीडीह के लविस्टा में भी ED का छापा पड़ा है. कारोबारी पवन पोदार के निवास ईडी के अधिकारी पहुंचे हैं. बताया जा रहा है कि वे एग्रीकल्चर सप्लाई का काम करते है. इनके पास ट्रेक्टर एजेंसी होने की भी जानकारी मिली है.
दुर्ग में भी बड़ी कार्रवाई

भिलाई 3 में भी ईडी ने कार्रवाई की है. अन्ना भूमि ग्रीनटेक प्राईवेट लिमिटेड के डायरेक्टर शिवकुमार मोदी घर पर छापा मारा गया है. रेड में ईडी के 6 से अधिक अधिकारी शामिल हैं. सीआरपीएफ की टीम भी घर के बाहर मौजूद है. वित्तीय अनियमितता को लेकर जांच की जा रही है.
DMF घोटाला मामले में कार्रवाई

केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय के छत्तीसगढ़ स्थित रायपुर जोनल ऑफिस ने बड़ी कार्रवाई की. जांच एजेंसी के मुताबिक करीब 575 करोड़ के DMF घोटाला यानी “डिस्ट्रिक मिनरल फंड” से जुड़े घोटाला मामले में कार्रवाई की गई है.  इस सर्च ऑपरेशन के दौरान कई सरकारी अधिकारियों, प्राइवेट लोगों के साथ- साथ टेंडर जारी करने वाले अधिकारी, ठेकेदार के यहां सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. इस सर्च ऑपरेशन के दौरान रायपुर के शंकर नगर इलाके में रहने वाले कारोबारी विनय गर्ग सहित उन ठेकदारों, बिचौलियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है , जिन्होंने खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास और कल्याण के लिए बनाए गए DMF फंड की बड़ी रकम को छत्तीसगढ़ बीज निगम के मार्फत गलत तरीके से फर्जीवाड़ा किया था. सर्च ऑपरेशन के दौरान काफी अहम सबूतों को , इलेक्ट्रोनिक एविडेंस और दस्तावेजों को जब्त किया गया है.
 घूस लेने के लिए बदले गए थे नियम

इस मामले की शुरुआती जांच रायपुर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और एसीबी (ACB) ने की. इस मामले की पड़ताल के बाद एसीबी ने करीब 6 हजार पन्नों का चार्जशीट भी स्थानीय कोर्ट में दायर किया था, इसके बाद इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी की इंट्री हुई. जांच एजेंसी के मुताबिक DMF के वर्क प्रोजेक्ट में भ्रष्ट्राचार करने के लिए फंड खर्च के नियमों को बदला गया और फंड खर्च के नए प्रावधानों में मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग, कृषि उपकरणों, इलाके में रहने वाले लोगों और उनके बच्चों के खेलने – मनोरंजन के लिए सामग्री, मेडिकल उपकरणों, स्वास्थ लाभ सम्बंधित छोटे– बड़े कई उपकरणों की भी कैटेगरी को जोड़ा गया था. आरोप है कि बदले गए नियमों के सहारे DMF के तहत जरूरी विकास से जुड़े कार्यों को दरकिनार करके अधिकतम कमीशन वाले प्रोजेक्ट को अप्रूव किया गया.
क्या है पूरा मामला

ED की जांच में पता चला है कि ये छत्तीसगढ़ में DMF घोटाला केस में जेल में बंद कारोबारी मनोज कुमार द्विवेदी से जुड़ा कनेक्शन बड़ा महत्वपूर्ण है, आरोप है कि मनोज ने अपनी बनाई NGO में DMF फंड की राशि हासिल की. इसके बाद कमीशन तत्कालीन IAS रानू साहू सहित कई अन्य बड़े सफेदपोश लोगों तक पहुंचाया था. इस मामले की EOW और ED दोनों जांच कर रही है. ED की जांच में पता चला कि 2021-22 और 2022-23 में मनोज कुमार द्विवेदी ने निलंबित IAS रानू साहू और अन्य अधिकारियों से मिलीभगत की थी. अपने एनजीओ उदगम सेवा समिति के नाम पर कई डीएमएफ ठेके हासिल किए थे. अधिकारियों को टेंडर की राशि का 42 फीसदी तक कमीशन दिया गया था.

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