बस्तर के खनिज संसाधनों की लीजिंग के खिलाफ कांग्रेस की न्याय यात्रा, किरंदुल से दंतेवाड़ा तक 42 किमी पदयात्रा

दंतेवाड़ा : बस्तर अंचल के बहुमूल्य लौह अयस्क संसाधनों को निजी कंपनियों को सौंपे जाने के विरोध में कांग्रेस पार्टी एवं स्थानीय आदिवासी समाज के लोगों ने दो दिवसीय ‘न्याय यात्रा’ निकाली।यह पदयात्रा किरंदुल से शुरू हुई और गुरुवार 29 मई को 42 किलोमीटर की दूरी तय कर दंतेवाड़ा कलेक्ट्रेट पहुंचकर आमजन ने सरकार के खिलाफ जमकर विरोध दर्ज कराया।
आंदोलनकारियों का आरोप है कि राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार ने बस्तर की बहुमूल्य खनिज संपदा को अपने चहेते उद्योगपतियों आर्सेलर मित्तल, रूंगटा स्टील और आरती स्पंज को 50 साल की लीज पर सौंप दिया हैं।जबकि स्थानीय जनता चाहती है कि खनन का संचालन केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी को ही सौंपा जाए,ताकि क्षेत्रीय हित सुरक्षित रह सकें।
कांग्रेस पार्टी और पदयात्रा में शामिल आदिवासी प्रतिनिधियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए चार प्रमुख मांगें रखीं प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि बस्तर एक आदिवासी बाहुल्य इलाका है,जहां संविधान के पांचवीं अनुसूची और पेसा अधिनियम लागू हैं।ऐसे में किसी भी खनन परियोजना के लिए ग्रामसभा की अनुमति आवश्यक है,जिसे नजरअंदाज कर मनमाने तरीके से निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया जा रहा हैं।जनता ने सरकार की खामोशी और कंपनियों के पक्ष में लिए गए फैसलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि बस्तर के हितों की अनदेखी कर केवल पूंजीपतियों के हित साधे जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने मांगें नहीं मानी,तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।







