बीजापुर के सारकेगुड़ा कैंप के COBRA जवानों ने दिखाई मानवता

बीजापुर : नक्सल प्रभावित इलाकों में जहाँ एक ओर सुरक्षा बल और ग्रामीणों के बीच विश्वास की खाई पाटने की कोशिशें लगातार चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर इसी कड़ी में बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा कैंप के 210 कोबरा बटालियन के जवानों ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। जवानों ने बीमारी से जूझ रहे एक गरीब आदिवासी की मदद कर न केवल मानवता का परिचय दिया, बल्कि ग्रामीणों का दिल भी जीत लिया।

मिली जानकारी के अनुसार, बीजापुर जिले के आउटर इलाके के गांव आउटपल्ली का रहने वाला आदिवासी सुक्का कोसमी लंबे समय से बीमारी से परेशान था। आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी के कारण उसका सही तरीके से इलाज नहीं हो पा रहा था। लगातार बिगड़ती तबीयत से परेशान परिजनों ने जब पास के सारकेगुड़ा कैंप में तैनात जवानों से मदद की गुहार लगाई तो कोबरा बटालियन के जवान तत्काल सक्रिय हो गए।

जवानों ने सबसे पहले बीमार सुक्का कोसमी को सुरक्षित तरीके से कैंप तक लाया और प्राथमिक स्वास्थ्य जाँच करवाई। इसके बाद बेहतर इलाज के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई और उसे बसागुड़ा उप स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। वहाँ उसे चिकित्सकों की निगरानी में भर्ती कर उपचार शुरु किया गया। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि जवान समय पर मदद नहीं करते, तो मरीज की स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। जवानों की इस संवेदनशील पहल से न केवल एक परिवार को राहत मिली है, बल्कि पूरे क्षेत्र में सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास और भी मजबूत हुआ है।

गौरतलब है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सुरक्षा बल अक्सर ग्रामीणों की शिक्षा, स्वास्थ्य और आपातकालीन परिस्थितियों में मदद करते रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि जवान केवल सुरक्षा ही नहीं, बल्कि मानवीय जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। कोबरा बटालियन के एक अधिकारी ने बताया कि “हमारा उद्देश्य केवल नक्सल उन्मूलन तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीणों की मूलभूत जरुरतों को पूरा करने में भी हरसंभव मदद करना है। जनता का विश्वास ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।” ग्रामीणों ने जवानों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह पहल उनके लिए बड़ी राहत है और अब उन्हें भरोसा है कि किसी भी संकट में कैंप के जवान हमेशा साथ खड़े रहेंगे। इस घटना ने यह संदेश दिया है कि सुरक्षा बल और ग्रामीणों के बीच विश्वास और सहयोग की डोर मजबूत हो रही है। जवानों की इस मानवता भरी पहल ने न सिर्फ एक आदिवासी की जिंदगी बचाई, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।

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