छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक कबाड़ी वाले ने 5 साल की बच्ची से रेप किया

रायगढ़  : छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक कबाड़ी वाले ने 5 साल की बच्ची से रेप किया है। आरोपी केवड़ाबाड़ी बस स्टैंड के पास से बच्ची को अपने साथ कबाड़ बिनने के बहाने ले गया और सुनसान जगह में ले जाकर घटना को अंजाम दिया। मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का है।

पुलिस के मुताबिक, बच्ची को वह अपने साथ जबलपुर ले गया था। जहां उसे 3 दिन तक रेप किया और मारपीट करते हुए जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने बच्ची को बरामद किया और आरोपी को जेल भेजा। वहीं, पॉक्सों कोर्ट ने आरोपी को 20 साल की कठोर सजा सुनाई है।

ये है पूरा मामला

घटना 11 अगस्त 2023 की है। जहां घरेलू विवाद के चलते मां अपनी 5 साल की बेटी और 10 साल के बेटे को लेकर केवड़ाबाड़ी बस स्टैण्ड के यात्री प्रतीक्षालय में रहती थी। साथ ही पास के एक होटल में काम करती थी।

वहीं, आरोपी कैलाश राजपूत जशपुर का रहने वाला था, वह रायगढ़ में कबाड़ बिनने का काम करता था और बस स्टैण्ड के यात्री प्रतीक्षालय में रहता था। घटना वाले दिन मां की तबीयत खराब थी, वह सो रही थी, दोनों बच्चे खेल रहे थे।

इसी बीच शाम 4 बजे बेटा अपनी मां को जगाते हुए बताया कि बहन को कैलाश राजपूत बुलाकर कहीं ले गया है। जिसके बाद आसपास खोजबीन की लेकिन उसका कुछ पता नही चला। जिसके बाद मां ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 363, 368 के तहत अपराध दर्ज कर मामले को जांच में ले लिया। 15 अगस्त 2023 को पीड़िता को जबलपुर के सेवा भारती मातृछाया से बरामद कर रायगढ़ लाया गया और आरोपी को भी हिरासत में लिया गया।

पूछताछ में बच्ची ने बताया कि आरोपी कैलाश राजपूत कबाड़ बिनने के लिए अपने साथ ले गया था। जहां रेलवे स्टेशन में रखा और सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ रेप करने की कोशिश करता रहा। पीड़िता के चिल्लाने पर उसके साथ मारपीट करते हुए मारकर फेंकने की भी धमकी देता रहा।

आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई गई

पीड़िता के बयान के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 323, 506, 366 (क) 376 (2) (ढ) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 06 पास्को एक्ट जोड़ते हुए आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया।

जहां दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एफटीएससी पास्को न्यायालय के पीठासीन अधिकारी देवेन्द्र साहू ने आरोपी कैलाश राजपूत को सभी धारा के आरोप में दोष सिद्ध पाया और अलग-अलग धाराओं में कुल 20 साल के कठोर कारावास और 8 हजार के अर्थदण्ड से दंडित किया है।

न्यायालय के आदेश में आरोपी के द्वारा अर्थदण्ड न पटाने पर अलग-अलग धाराओं में पृथक से सजा भुगतान का भी प्रावधान किया गया है। मामले की विवेचना टीआई शनीफ रात्रे और एसआई दीपिका निर्मलकर ने की और अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक मोहन सिंह ठाकुर ने पैरवी की।

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