स्कूलों में एनजीओ का दखल कतई बर्दाश्त नहीं,विनोबा एप्प का शिक्षक संगठन ने किया विरोध

रायपुर  : छत्तीसगढ़ प्रदेश जागरूक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू, प्रदेश उपाध्यक्ष शिवकुमार साहू, तुलसीराम पटेल, वीरेंद्र साहू, प्रदेश सचिव राजेंद्र लाडेकर, प्रदेश महासचिव भोजराम साहू, गायत्री मंडलोई, महेश्वर कोटपरिहा, प्रदेश संयुक्त सचिव हरिशंकर पटेल, कमलेश कुमार भारती, प्रदेश प्रवक्ता, नरेंद्र तिवारी, केशव पटेल, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रोहित कुमार पटेल, अमर दास बंजारे, रामसेवक पैकरा, राजेंद्र कुमार साहू, जगदीश साहू, दिनेश कुमार लहरें, देवेंद्र वर्मा, प्रमोद कुंभकार दिनेश निर्मलकर, संतोष जैन, मनोज यादव, अभिषेक तिवारी, सुषमा प्रजापति, नारद सहारे, मुकेश दिवाकर, शंभूराम साहू, चंद्रशेखर सारथी, रेखा पुजारी, अरविंद पांडे, देवीदयाल साहू, फूलदेव गुप्ता, हीरालाल विश्वकर्मा, ज्वाला बंजारे, महेश शर्मा, बिमला लकड़ा, मंजू शर्मा, तुलसा मंडावी, नंदकुमार पटेल, रूलिका लकड़ा, नूरजहां खान, रूपेंद्र कुमार साहू, कोमल सिंह गुरु, तिलक खांडे, कुलदीप सिन्हा, कौशल्या कोले, शशिमा कुर्रे, विनोद सिंह राजपूत, मनीषा मिंज, कजला महिलांगे, कुलेश्वरी साहू, कैलाशचंद्र ठाकुर आदि ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक एनजीओ द्वारा विनोबा एप्प नाम से एप्प शिक्षकों के मोबाइल में डाउनलोड करवाया जा रहा है।

इसके लिए सभी शिक्षकों पर जबरदस्ती दबाव डाला जा रहा है। विनोबा एप्प के नाम से शिक्षकों को रोज व्हाट्सएप के माध्यम से संदेश भेज कर मानसिक रूप से परेशान व प्रताड़ित किया जा रहा है। उक्त एप्प को डाउनलोड करने, इसी के माध्यम से अटेंडेंस भरने एवं शैक्षणिक गतिविधियों को इसमें अपलोड करने के लिए संकुल समन्वयको एवं संकुल प्राचार्य, बीईओ, डीईओ एवं कलेक्टर के माध्यम से दबाव बनाया जा रहा है। प्रदेश शिक्षक संगठन ने विनोबा का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि इस प्रकार का एनजीओ का स्कूल में दखलअंदाजी किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।शिक्षकों एवं स्कूलों को एनजीओ से मुक्त रखा जाना चाहिए। जिससे शिक्षक स्वतंत्र होकर स्कूलों में बेरोक टोक स्वतंत्रता पूर्वक अध्ययन अध्यापन का कार्य करा सके।

शिक्षक संगठन ने कहा है कि एनजीओ के माध्यम से शासन प्रशासन द्वारा आए दिन मोबाइल से संबंधित कार्य दिए जा रहे हैं, जिससे कि शिक्षक पढ़ाई लिखाई छोड़ विनोबा एप्प में अपनी अटेंडेंस भरना, पढ़ाई लिखाई की जानकारी अपलोड करना आदि। इससे पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मोबाइल में रोज रोज सारे डाक मंगाए जा रहे हैं। मोबाइल में ही प्रशिक्षण लिया जा रहा है। मोबाइल में ही बहुत सारा कार्य दिया जा रहा है। जिसके कारण शिक्षक मानसिक रूप से परेशान व प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। शिक्षक संगठन ने कहा है कि विनोबा एप्प सहित विभिन्न एनजीओ या मोबाइल संबंधी कार्य को शासन प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभाव से बंद नहीं किया गया तो संगठन इसका अपने स्तर पर विरोध एवं बहिष्कार करेगा।

स्कूलों में शिक्षकों की अटेंडेंस व उपस्थिति एवं निगरानी के लिए शिक्षक उपस्थिती रजिस्टर अर्थात पाठकान संधारित है। जो सदियों से चला रहा है। स्कूल में उपस्थित होकर शिक्षक प्रतिदिन पाठकान में हस्ताक्षर करते हैं। इसके अलावा प्रत्येक स्कूलों में एक एक हेडमास्टर/प्राचार्य है, जो स्कूलों का व्यवस्था संचालन करते हैं।इसके ऊपर संकुल शैक्षिक समन्वयक है, जो आए दिन स्कूलों का निरीक्षण करते हैं। इसके ऊपर विकासखंड शिक्षाधिकारी एवं जिला शिक्षाधिकारी हैं जो समय-समय पर स्कूलों की मॉनिटरिंग एवं निरीक्षण करते हैं। साथ ही प्रत्येक गांव के स्कूल के ऊपर विद्यालय प्रबंध समिति बना हुआ है, जो स्कूलों की निगरानी करता है। समय-समय पर बैठक होती है। पढ़ाई-लिखाई का जायजा लेते हैं।

साथ ही साथ गांव वाले यह देखते हैं कि कौन शिक्षक स्कूल आ रहा है, कौन शिक्षक स्कूल नहीं आ रहा है। क्या पढ़ा रहे हैं..??? क्या लिखा रहे हैं..? इसके अलावा मीडिया की भी नजर स्कूलों पर बनी रहती है। इन सब के बावजूद भी विनोबा एप्प जैसे मोबाइल ऐप लॉन्च कर, उसमें हर गतिविधियों को डाउनलोड करना, उसी में अटेंडेंस लेना, इसकी आखिर क्या जरूरत है…???? इस प्रकार ऐप लॉन्च कर शिक्षकों को न सिर्फ परेशान व प्रताड़ित किया जा रहा है, बल्कि शिक्षा विभाग में एनजीओ का बेवजह दखल हो रहा है। जो किसी भी सूरत में उचित नहीं है। संगठन ने शासन प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि विनोबा एप्प को बंद नहीं किया गया तो इसके खिलाफ शिक्षक संघ द्वारा न सिर्फ सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी बल्कि न्यायालय की शरण भी ले जाएगी जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button