ग्राम पंचायतों के जलाशयों से अवैध जल चोरी पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, न्यू लुक बायोफ्यूल फैक्ट्री को हटाने की दी चेतावनी!

राजनांदगांव : राजनांदगांव जिले के ग्राम फूलझर में स्थित न्यू लुक बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक फैक्ट्री पर ग्रामीणों का गुस्सा इस कदर फूटा कि सैकड़ों की संख्या में किसान कलेक्ट्रेट पहुंच गए। फैक्ट्री द्वारा देवदा, कोपेड़ीह और बैगा टोला ग्राम पंचायतों के जलाशयों से बिना अनुमति के अवैध रूप से पानी पाइपलाइन के ज़रिए खींचे जाने के खिलाफ ग्रामीणों ने आज कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा और दो टूक शब्दों में चेतावनी दी – “अगर दो दिन में यह पाइपलाइन नहीं हटी, तो हम उग्र आंदोलन करेंगे!”
तीन पंचायतों के जलाशयों से अवैध जल दोहन
ज्ञापन में बताया गया कि न्यू लुक बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री ने किसी भी वैधानिक अनुमति के बिना तीन ग्राम पंचायतों के जलाशयों में अवैध रूप से पाइपलाइन बिछाई है और फैक्ट्री के उपयोग हेतु बड़े पैमाने पर पानी का दोहन किया जा रहा है। यह न केवल गैरकानूनी है, बल्कि किसानों और ग्रामीणों के लिए आने वाले समय में भारी जल संकट का कारण बन सकता है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह जलाशय खेती, पशुपालन और पेयजल के लिए गांवों की जीवनरेखा हैं। यदि इसी तरह निजी फैक्ट्रीयों को अवैध तरीके से पानी दोहन की छूट दी जाती रही, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका भयावह परिणाम भुगतना पड़ेगा।
“प्रशासनिक मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं”
गांव वालों का आरोप है कि इतनी लंबी पाइपलाइन तीन गांवों से होकर गुजरती है। क्या यह प्रशासन की जानकारी के बिना संभव है? उन्होंने कहा कि यह सब कुछ सत्ता संरक्षण और प्रशासनिक मिलीभगत का परिणाम है। ग्रामीणों ने मांग की कि इस मामले की न्यायिक जांच करवाई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
कनक दुबे के नेतृत्व में सरपंचों और उपसरपंचों एवं ग्रामीणों ने दी एकजुटता का परिचय
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व पूर्व सरपंच श्रीमती कनक दुबे (ग्राम पंचायत मगरलोटा) ने किया, जिनके साथ ग्रामीणों की लंबी फौज कलेक्ट्रेट पहुंची। प्रदर्शनकारियों में सरपंच, उपसरपंच, जनपद सदस्य, युवा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे, जिन्होंने जल चोरी के इस मामले को जनता की गरिमा और अधिकारों से जोड़ते हुए इसे “ग्राम स्वराज की हत्या” करार दिया।
ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से:कनक दुबे, मौलेश तिवारी(अधिवक्ता) सुनील बाजपेईरामनारायण देशमुख (उपसरपंच देवदा) उपेंद्र दुबे सतीश, संदीप, जीतू देवांगन राकेश दुबे, ऋषि मेश्राम लक्ष्मी साहू (सरपंच देवदा) चुनेश्वर साहू (सरपंच ग्राम कोपेड़ीह) योगेश निर्मलकर (पूर्व जनपद सदस्य, खुटेरी) नील निर्मलकर, छवि यादव (युवा मोर्चा महामंत्री) शैलेंद्र साहू (टेडेसरा), खिलावन साहू पुरुषोत्तम निषाद, अंकित साहू, चुन्नू लाल महोबे लेख राम साहू, नौबिरा साहू, राम दुर्गेंद्र जागेश्वर साहू (उपसरपंच कोपेड़ीह), तुलसी साहू (पंच) नरोत्तम यादव, मनभावन, सुंदरी बाई सहित सैकड़ों ग्रामीण शामिल रहे।
दो दिन की चेतावनी, नहीं तो धरना-प्रदर्शन
ज्ञापन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यदि दो दिनों के भीतर न्यू लुक बायोफ्यूल्स फैक्ट्री द्वारा बिछाई गई पाइपलाइन हटाई नहीं जाती, तो ग्रामीण धरना, फैक्ट्री घेराव, सड़क जाम और आमरण अनशन जैसे उग्र कदम उठाएंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और संबंधित फैक्ट्री की होगी।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि अगर इस बार प्रशासन ने चुप्पी साधी, तो यह जनविरोध और व्यापक होगा, जो पूरे जिले को प्रभावित कर सकता है। उनका यह भी कहना है कि यदि गांव के जलाशय सुरक्षित नहीं रहे, तो फिर पंचायती राज और लोकतंत्र महज़ एक दिखावा बनकर रह जाएगा।
सरकारी योजनाओं की धज्जियाँ
फैक्ट्री द्वारा अवैध जल दोहन की यह हरकत सरकार की जल संरक्षण योजनाओं, जैसे जल जीवन मिशन, अमृत योजना, नल-जल योजना आदि का भी खुला मखौल है। जब सरकार ग्रामीण जल स्रोतों के संरक्षण और वर्षा जल संचयन के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, तो वहीं निजी कंपनियाँ इन संसाधनों का दोहन कर रही हैं – और वह भी बिना अनुमति और जवाबदेही के।
क्या प्रशासन देगा जवाब?
अब सवाल उठता है – क्या प्रशासन इस गंभीर जल संकट और ग्राम पंचायतों के अधिकारों की अवहेलना पर कोई ठोस कदम उठाएगा? या फिर यह मामला भी कागज़ों में दबकर रह जाएगा?
ग्रामीणों की चेतावनी स्पष्ट है: “अब नहीं तो कभी नहीं। यदि हमारी जमीन, हमारा पानी और हमारा अधिकार सुरक्षित नहीं रहेगा, तो हम संघर्ष का रास्ता चुनने को मजबूर होंगे।” ग्राम पंचायतों के जलाशयों से अवैध जल दोहन का यह मामला अब केवल एक फैक्ट्री का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह जनता बनाम व्यवस्था का संघर्ष बन गया है। अगर प्रशासन ने अब भी आंखें मूंदे रखीं, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन जिलेभर में एक बड़ी चिंगारी बनकर फैल सकता है।







