राजनांदगांव विकासखंड में अवैध कॉलोनियों के लिए मुरुम परिवहन बिना रॉयल्टी के हो रहा खुलेआम
एक संचालक एक निरीक्षक के भरोसे क्या खनिज विभाग कार्रवाई कर पाएगा इन मुरुम माफिया के ऊपर यह भी एक बड़ा सवाल है....???

kkbnews:-राजनांदगांव। विकासखंड के अंतर्गत धर्मपुर,तिलई खार, जोरताराई, भाठागांव,बघेरा तालाब, बुन्देलीकला, डीलापहरी, बोरी, और पडुमतरा खार जैसे ग्रामीण इलाकों में इन दिनों एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है। यहां के कुछ असामाजिक तत्व अवैध रूप से मुरुम का परिवहन कर रहे हैं, इन दिनों मुरुम की अवैध खुदाई और परिवहन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यहां बिना रॉयल्टी भुगतान किए अवैध कॉलोनियों के लिए मुरुम की खदानों से बड़ी मात्रा में मुरुम निकाला जा रहा है। यह मुरुम कॉलोनियों में सड़क निर्माण और अन्य निर्माण कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि इस अवैध खुदाई के चलते पर्यावरणीय नुकसान के साथ-साथ सरकार को राजस्व की भी भारी क्षति हो रही है।
चिखली थाने के सामने से दर्जनों गाड़ी बिना रॉयल्टी के परिवहन होते देखी जा सकती है उसके बाद भी क्या खनिज विभाग बिना रॉयल्टी के परिवहन चेक पोस्ट दोबारा चालू कर पाएंगे यह बड़ा सवाल है…???
मुरुम की अवैध खुदाई:
राजनांदगांव जिले के विभिन्न हिस्सों में मुरुम की अवैध खुदाई की घटनाएं सामने आ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, स्थानीय प्रभावशाली लोग और बिल्डर बिना किसी अनुमति के मुरुम के खनन के लिए छोटे-बड़े खनन स्थल तैयार कर रहे हैं। इस मुरुम का उपयोग निर्माण सामग्री के रूप में कॉलोनियों में किया जा रहा है, जिससे भारी मात्रा में मुनाफा कमाया जा रहा है। यह मुरुम मुख्य रूप से सड़क निर्माण, भवन निर्माण और अन्य विकास कार्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है।
बिना रॉयल्टी के परिवहन:
मुरुम का खनन करने के बाद, उसे बिना किसी रॉयल्टी के विभिन्न स्थानों पर ले जाया जा रहा है। यह पूरी प्रक्रिया अवैध तरीके से चल रही है, जिससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। मुरुम खनन और परिवहन के लिए आमतौर पर रॉयल्टी का भुगतान करना आवश्यक होता है, जो कि खनन के नियमों और कानूनों के तहत होता है। लेकिन इस मामले में रॉयल्टी का भुगतान किए बिना मुरुम का परिवहन किया जा रहा है, जो कि अवैध रूप से हो रहा है।
कॉलोनियों का निर्माण:
राजनांदगांव में तेजी से अवैध कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है। इन कॉलोनियों में भवन निर्माण, सड़क निर्माण, और अन्य आधारभूत सुविधाओं के लिए मुरुम का उपयोग किया जा रहा है। कॉलोनियों में मुरुम का इस्तेमाल सड़कें और अन्य निर्माण कार्यों के लिए किया जा रहा है, जबकि इन कॉलोनियों को वैध बनाने के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति प्राप्त नहीं की गई है। इन कॉलोनियों के निर्माण से न केवल पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि स्थानीय निवासियों की जल, वायु, और भूमि की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
पर्यावरणीय नुकसान:
मुरुम की अवैध खुदाई और परिवहन का पर्यावरण पर गहरा असर पड़ रहा है। मुरुम निकालने के लिए जिस प्रकार से खनन किया जा रहा है, वह मिट्टी के कटाव, जलस्रोतों की गंदगी और वनों की अंधाधुंध कटाई का कारण बन रहा है। इसके परिणामस्वरूप, भूमि की उर्वरता में कमी आ रही है और स्थानीय जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कई स्थानों पर जलस्रोत भी सूख गए हैं, जिससे ग्रामीणों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी कार्रवाई और चुनौती:
इस अवैध मुरुम खुदाई के खिलाफ स्थानीय प्रशासन और खनन विभाग ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन यह कार्यवाही सीमित रही है। अवैध मुरुम परिवहन के दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे यह गतिविधि लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा, कुछ प्रभावशाली लोगों के कारण प्रशासन भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, जिससे यह अवैध कारोबार बिना किसी डर के चल रहा है।
स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता इस अवैध मुरुम खनन और कॉलोनी निर्माण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन वे प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अपनी बात प्रभावी रूप से नहीं रख पा रहे हैं। इस समस्या को सुलझाने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि पर्यावरणीय नुकसान को रोका जा सके और सरकार को राजस्व की चोरी पर नियंत्रण पाया जा सके।
राजनांदगांव विकासखंड में अवैध मुरुम खनन और कॉलोनियों के लिए परिवहन की घटनाएं न केवल पर्यावरणीय संकट पैदा कर रही हैं, बल्कि सरकारी राजस्व में भी भारी कमी का कारण बन रही हैं। यदि समय रहते इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो इसके परिणाम और भी गंभीर हो सकते हैं। अधिकारियों को इस अवैध कारोबार के खिलाफ कड़ी निगरानी और नियंत्रण रखना होगा, ताकि प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन रोका जा सके और सार्वजनिक भलाई के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।







