लंबित मांगों को लेकर नर्सिंग स्टॅाफ नए साल से आंदोलन पर, चेतावनी

रायपुर :  छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में आने वाले दिनों में मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

अपनी लंबित मांगों को लेकर लंबे समय से इंतजार कर रहे नर्सिंग संवर्ग का धैर्य अब जवाब दे गया है। अंबेडकर अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ ने सरकार को सीधा अल्टीमेटम देते हुए घोषणा की है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो नए साल में वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस संबंध में संघ ने अस्पताल के संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक को एक ज्ञापन सौंपकर अपनी मंशा साफ कर दी है।

नर्सिंग संवर्ग की नाराजगी की मुख्य वजह सरकार द्वारा किए गए वादों का पूरा न होना है। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि उनकी मांगें पिछले 10 वर्षों से लंबित हैं।

4 जुलाई 2024 को विभागीय मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया था कि दो महीने के भीतर कैबिनेट में उनकी मुख्य मांगों को रखकर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। आज इस वादे को एक वर्ष और पांच महीने बीत चुके हैं (वर्तमान संदर्भ दिसंबर 2025), लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। सरकार के इस उपेक्षापूर्ण रवैये से नर्सिंग स्टाफ में गहरा आक्रोश है।

संघ ने जो मांग पत्र सौंपा है, उसमें वेतन विसंगति दूर करना सबसे प्रमुख है। उनकी मांग है कि स्टाफ नर्स का ग्रेड पे बढ़ाकर 4800, नर्सिंग सिस्टर का 5400, सहायक नर्सिंग अधीक्षक का 6600, उपनर्सिंग अधीक्षक का 7600 और नर्सिंग अधीक्षक का ग्रेड पे 8600 किया जाए। इसके अलावा, अस्पताल में लगभग 400 नियमित पद रिक्त पड़े हैं।

संघ चाहता है कि इन पदों पर पहले से कार्यरत संविदा और कलेक्टर दर पर काम कर रहे स्टाफ नर्सेस को समायोजित किया जाए। साथ ही, पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश की तर्ज पर ‘समान काम-समान वेतन’ का आदेश जारी हो और कलेक्टर दर वाले कर्मचारियों को कम से कम 14,000 रुपये मासिक वेतन मिले।

नर्सिंग स्टाफ ने अपनी सेवा शर्तों और सुविधाओं को लेकर भी आवाज बुलंद की है। उनकी मांगों में शामिल है कि निजी चिकित्सकों द्वारा दिए जाने वाले मेडिकल लीव की मान्यता को केवल 3 दिन तक सीमित करने के फैसले को रद्द कर पूर्ववत व्यवस्था लागू की जाए। इसके साथ ही सहायक नर्सिंग अधीक्षक और नर्सिंग सिस्टर जैसे पदों पर समयबद्ध पदोन्नति दी जाए।

10, 20 और 30 वर्ष की सेवा पूरी करने पर समयमान वेतनमान का लाभ मिले। वहीं, महिला कर्मचारियों की सुविधा के लिए मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में बच्चों के लिए ‘झूला घर’ बनाने, स्टाफ और उनके परिजनों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा और रिटायरमेंट के तुरंत बाद पेंशन शुरू करने की मांग भी प्रमुखता से उठाई गई है।

संघ ने यह भी कहा है कि दूर-दराज से आने वाले मरीजों के रिश्तेदारों के लिए अस्पताल परिसर में रहने की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। 

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