बिजली सड़क पानी से माँ के दूध तक पहुँचा चुनाव !

kkbnews:-बिजली, सड़क, पानी ही किसी भी नगर निगम और वहाँ के निवासियों के मूल विषय होते हैं लेकिन राजनांदगाँव इस मामले में थोडा़ अलग है. यदि न होता तो यहाँ किसी माँ के दूध को ललकार नहीं लगाई जाती.

दरअसल, मामला अब दलगत चुनाव से कहीं आगे निकलने लगा है. अब लिमिटेड ओवर क्रिकेट की तर्ज पर बैटिंग – बालिंग होने जा रही है इसका अहसास बीते कुछ घँटों के दौरान हुआ है.

क्या है विवाद, क्यूं पैदा हुआ . . ?

मामला देश और प्रदेश की सत्ता में काबिज भाजपा के महापौर प्रत्याशी मधुसूदन यादव की एक टिप्पणी से उपजा. हालाँकि इस टिप्पणी को काँग्रेस प्रत्याशी की टिप्पणी का जवाब बताया जा रहा है लेकिन ऐसा कुछ निखिल द्विवेदी ने कहा है इसका कोई आडियो-वीडियो अब तक सामने नहीं आया है.

मधुसूदन यादव . . . पार्षद, सभापति, महापौर, साँसद . . . ईश्वर ने वो सबकुछ दिया जिसकी चाह में कई चेहरे राजनीति में कार्यकर्ता से आगे उठ नहीं पाते. मतलब मधुसूदन का लँबा राजनीतिक जीवन रहा है.

उन्हें पक्ष के साथ साथ विपक्ष के भी कार्यकर्त्ताओं पदाधिकारियों का साथ मिलते रहा है. लेकिन वह ऐसी कौन सी घडी़ थी जब उनके मुँह से एक ऐसी बात निकल गई जो उनके व्यक्तित्व से मेल नहीं खाती है.

मधुसूदन यादव, जिन्हें परिपक्व राजनेता माना जाता है, ने वरिष्ठ भाजपा नेताओं की मौजूदगी वाली सभा में एक तरह से व्यक्तिगत टिप्पणी की. उन्होंने निखिल को निशाने पर लेते लेते उनकी माँ, उनकी ममता, उनके दूध पर ही टिप्पणी कर दी.

हालाँकि, इसके बावजूद निखिल द्विवेदी ने बडी़ शालीनता दिखाई. जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे छोटा भाई कहने वाले मधुसूदन यादव ने मेरी नहीं बल्कि शहर की सभी माँओं के दूध को ललकारा है.

निखिल कहते हैं कि 15 फरवरी को शहर की जनता का जवाब पता चल जाएगा. मधुसूदन जी अपनी सँभावित हार से बौखला गए हैं. उन्होंने अपनी पूरी सरकार को ही मैदान में उतार दिया है तो फिर समझ लीजिए.

बाद में माँग ली माफी . . .

धीरे धीरे इस पर विवाद बढ़ने लगा. भाजपा के शीर्ष नेताओं के कानों तक बात पहुँची तो उन्होंने डैमेज कँट्रोल के लिए माफी का रास्ता तय किया. अँततः महापौर प्रत्याशी मधुसूदन यादव ने भी माफी माँग विवाद के पटाक्षेप की कोशिश की.

सोशल मीडिया में जारी माफीनामा . . .

आदरणीय माताओं-बहनों और राजनांदगांव की प्रिय जनता,

सादर अभिवादन

सबसे पहले मैं राजनांदगांव की माताओं-बहनों को प्रणाम करता हूं। बहुत छोटे से मोहल्ले, बेहद साधारण घर और कठिन परिस्थितियों के बाद मैं यहां तक पहुंचा हूं। मां-बाप की मेहनत और पालन पोषण क्या होता है यह मैं समझता हूं। मैंने अपने भाषण में भावावेश में यदि कुछ भी अनुचित कह दिया हूं तो सभी माताओं-बहनों से हाथ जोड़कर क्षमा चाहता हूं। मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। फिर भी मैं मानता हूं कि हमें अपनी विनम्रता नहीं छोड़नी चाहिए। दरअसल राजनांदगांव की जनता के लिए आदरणीय डॉ. रमन सिंह जी एक पालक की तरह हैं और अपने ही पिता तुल्य व्यक्ति के शहर प्रवेश को लेकर चुनौती दी जाए तो मन दुःखी होता है। बस इसी भावावेश में मैंने प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी। यह संस्कारधानी का स्वभाव रहा है कि यहां रिश्तों और सम्मान के बीच कभी राजनीति को आड़े नहीं आने दिया गया। यह शहर पंडित किशोरी लाल जी शुक्ल, आदरणीय पं. शिवकुमार शास्त्री जी, लीलाराम जी भोजवानी, ठाकुर दरबार सिंह जी, विद्याभूषण ठाकुर जी, मदन तिवारी जी, फ्रांसिस जी, बलबीर खनूजा जी, उदय मुदलियार जी, विजय पांडे जी, शोभा सोनी जी जैसे कई लोकप्रिय और आदरणीय नेताओं से समृद्ध रहा है जिनसे हमने कर्मठता, सरलता और भाईचारा सीखा है। निखिल भी मेरा छोटा भाई है और उनका परिवार मेरा परिवार है। मैं राजनांदगांव की जनता को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आपसे रिश्ता निभाने और सम्मान करने में कभी कोई कमी नहीं आएगी।

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