40 करोड़ में बिकी गाय, जानिए क्या है खास?

भारत में गाय की कीमत की कीमत सामान्य गाय 20-30 हजार रुपये में मिल जाती है. वहीं, दुधारू गाय एक से दो लाख रुपये में मिल जाती है. इसके अलावा, दूध के लिए भैंस भी पाले जाते हैं. भैंसों में हरियाणा में पाई जाने वाली मुर्रा भैंस सबसे महंगी मानी जाती है. इस की कीमत 80 हजार से 3 लाख रुपये तक होती है. लेकिन, हम आज बात करने जा रहे हैं भारतीय नस्ल की एक ऐसी गाय की, जो ब्राजील में 40 करोड़ रुपये में बिकी है.

वियाटिना-19 नाम की इस गाय ने पूरी दुनिया में एक अलग पहचान बना ली है. इसके साथ ही इस गाय का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज कर लिया गया है. इस गाय को मिस साउथ अमेरिका का टाइटल भी दिया जा चुका है. इसके बाद से ही यह गाय पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रही है. दुनियाभर के कई देशों में इस गाय की बछड़ों की बहुत ही ज्यादा मांग है, ताकि अच्छी नस्ल की गाय तैयार की जा सके. इसी कड़ी में एक ग्राहक ने भारत की नेल्लोर नस्ल की इस गाय के लिए 40 करोड़ रुपये तक की कीमत चुकाने को तैयार हो गए. नेल्लोर नस्ल की इन गायों को आंगोल ब्रीड के तौर पर भी जाना जाता है. नेल्लोर नस्ल की गायों को ब्राजील में भी बड़े पैमाने पर पाला जाता है. वर्ष 1800 से ही ब्राजील में इन गायों का पालन किया जा रहा है.

इस गाय में हैरान करने वाली है खूबियां

सफेद फर और कंधे पर ऊंचे हंप वाली इन गायों की विशेषता ये है कि ये ऊंटों की तरह लंबे वक्त तक खाने और पीने की सामग्री को स्टोर कर लेती हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में यह गाय पाई जाती है. इन गायों की विशेषता यह है कि ये बेहद कठिन और गर्मी के बीच में भी रह सकती हैं. इसके बावजूद इनकी दूध देने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है, जबकि आमतौर पर अत्यधिक गर्म मौसम में गायों की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. इसके अलावा नेल्लोर नस्ल की गायों की इम्युनिटी भी शानदार होती है और वे बीमारियों से लड़ पाती हैं. यही कारण है कि इनकी दुनिया भर में लोकप्रियता और मांग बहुत ही ज्यादा है.

बेहद कम देखभाल की होती है जरूरत

इन गायों  बहुत ही कम देखभाल करने की जरूरत पड़ती है. दरअसल, यह कठिन हालात में भी रह लेती है. इसके साथ ही इन गायों की रोग प्रतिरोधी क्षमता भी काफी मजबूत होती है. इसकी वजह से ये गायें रेगिस्तान, गर्म क्षेत्रों में भी आसानी से जीवित रहती हैं. इसी वजह से पूरी दुनिया में नेल्लोर नस्ल की गायों की मांग तेजी से बढ़ रही है. कई बार चारे के अभाव में पशुओं के लिए सर्वाइव करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे हालात में भी ये गायें सर्वाइव कर लेती है. दरअसल, ये गायें फैट को स्टोर कर लेती है. यही वजह है कि कठिन परिस्थितियों में भी इन गायों के स्वास्थ्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है.

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