12 फरवरी से प्रारंभ होगी 15 दिवसीय शिवरीनारायण मेला

kkbnews:-बलौदा बाजार छत्तीसगढ़ के गुप्त प्रयाग के नाम से जाने जाने वाले माता शबरी की कर्म स्थलीय शिवरीनारायण मेला छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में आयोजित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह मेला हर साल माघ महीने के अंत में आयोजित किया जाता है, जो लगातार 15 दिवसीय मेला लगती है जहां दर्शनार्थियों की अपार भीड़ लगी रहती है आमतौर पर जनवरी या फरवरी में पड़ता है। इस वर्ष शिवरीनारायण की ऐतिहासिक एवं विशाल भव्य मेला माघ महीना की अंतिम तिथि 12 फरवरी को प्रारंभ होगी जो लगातार 15 दिनों तक और 26 फरवरी को पूर्णिमा महाशिवरात्रि के दिन मेला का समापन होगा इस 15 दिवसी मेले में लाखों लोगों एवं श्रद्धालुओं द्वारा इस संगम स्थल पर डुबकी लगाकर एवं मेला का आनंद लेकर अपने जीवन को धन्य बनाएंगे
इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह भगवान नारायण को समर्पित है। मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और भगवान नारायण की पूजा-अर्चना करते हैं¹।
मेले के दौरान, शिवरीनारायण मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और श्रद्धालुओं के लिए विशेष भोजन और प्रसाद की व्यवस्था की जाती है²।
शिवरीनारायण मेला न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व का भी है। मेले में स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को अपनी कला और हस्तशिल्प को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है³।
इसके अलावा, मेले में विभिन्न प्रकार के खेल बड़े-बड़े झूला दर्जनों सिनेमा टॉकीजऔर मनोरंजन के सभी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं⁴। छत्तीसगढ़ के प्राचीन खजानी गन्ने की रस एवं लाई से बने ओखरा के लिए काफी प्रसिद्ध रहता है जो सिर्फ और सिर्फ शिवरीनारायण के आसपास के लोगों द्वारा तैयार कर विक्रय किया जाता है यह ओखर भी मेला में एक आकर्षण का केंद्र रहता है जिसे लगभग सभी मेला में पहुंचने वाले श्रद्धालु जन प्रसाद के रूप में अपने-अपने घर को भी ले जाते हैं
कुल मिलाकर, शिवरीनारायण मेला छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लोगों को एक साथ लाने और उनकी भावनाओं को जोड़ने में मदद करता है। त्रेता युग में अखिल ब्रह्मांड नायक भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी रामायण काल में माता जी की खोज करते समय शिवरीनारायण में माता शबरी के कुटिया में दर्शन दिए एवं माता शबरी के हाथों से झूठे बेर खाकर महानदी शिवनाथ नदी एवं जोक नदी की संगम स्थल होने के कारण भी यहां बारहमासी श्रद्धालु जैन पिंड दान करने के लिए भी पहुंचते हैं इस विशाल मेला को देखने के लिए छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन अन्य प्रांतों के भी लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं







